UGC Approved Journal no 63975(19)

ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
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Volume 11 | Issue 5 | May 2024

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Published in:

Volume 6 Issue 4
April-2019
eISSN: 2349-5162

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Published Paper ID:
JETIR1904B33


Registration ID:
205514

Page Number

223-229

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Jetir RMS

Title

अजमेर जिले के सतही जल का भौगोलिक विश्लेषण

Abstract

जल जीवन है। जल सम्पूर्ण स्रष्टि का मूल है, एवं विश्व के सभी धर्माे के अनूरूप जल ही वस्तुतः ब्रह्म भी है। विज्ञान के अनुसार, जल मूलतः प्राणदायी ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का एक व दो के अनुपात मे सम्मिलित रूप है। जीवन के बहुमुल्य पदार्थ का संरक्षण अति आवष्यक है। पृथ्वी पर उपलब्ध 2/3 भाग जल में 97 प्रतिशत समुद्र का खारा जल है जो पीने योग्य नहीं होता। पृथ्वी पर जो 3 प्रतिशत पानी हमारे पीने योग्य है उसमे से 75 प्रतिशत हिमखण्डो के रूप में, 14 प्रतिशत भूमिगत जल 2,500 फीट से 12,500 फीट की गहराई पर है। जिसका दोहन सम्भव ही नहीं है। कुल उपलब्ध जल का 11 प्रतिशत भूजल 2,500 फीट तक गहराई में है। जल विज्ञानियों के अनुसार भूमि की सतह पर हमें मात्र 97 प्रतिशत जल ही घरेलू उपयोग, सिंचाई, उद्योगों आदी के लिए उपलब्ध है। भारत गांवो में बसता है। देश में लगभग 69 प्रतिशत किसान आबादी है। गांवो में ग्रामीणों की आजीविका का साधन कृषि है, और कृषि के लिए सिंचाई की व्यवस्था अहम है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक 71 प्रतिशत वैश्विक जल का उपयोग कृषि कार्यो में किया जाएगा। उसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि कृषि के लिए जल का कितना अधिक महत्व है। इसके अतिरिक्त, उद्योगों के लिए भी वैश्विक स्तर पर पानी की मौजुदा 16 प्रतिशत की खपत वर्ष 2030 तक बढकर लगभग 22 प्रतिशत होने के अनुमान है। इसलिए कृषि और जल सम्बन्धि नीतियों के बीच समन्वय की जरूरत है। सरकार का ध्यान इस और गया है और उसने राष्ट्रीय जल आयोग का गठन किया है। गौरतलब है कि ग्रामिण विकास के लिए बजट प्रावधानो में निरंतर सकारात्मक वृद्वि कि जा रही है जो कि ग्रामीण आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने की दिशा मे पहल की गई है। जिसके तहत कुंआ खोदना, सिंचाई संसाधन मजबूत करना, कृषि बाजार का सुदृढीकरण ग्रामीण सड़क निर्माण आदि का मुख्य स्थान है। वर्तमान दृष्टिकोण को देखते हुए सरकार इस प्रकार के एकीकृत जल प्रबन्धन के उपाय ला रही है जिनसे हमारी सततपोष्णीयता पर न्यून प्रभाव दृष्टिगत हों। कृषि विकास के साथ-साथ इस प्रकार के कार्यक्रम चलाने जा रहे है जो की कृषिगत लाभ तो उपलब्ध कराते है साथ ही साथ लोगों मे पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी पैदा करते है जिससे हमें उपज के लाभ के साथ पर्यावरणीय सुधार मे किये जा रहे उपायों मे भी अतिरिक्त उद्यम से बचना होगा।

Key Words

राजस्थान, अजमेर, भूगर्भ जल, सतही जल

Cite This Article

"अजमेर जिले के सतही जल का भौगोलिक विश्लेषण", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.6, Issue 4, page no.223-229, April-2019, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR1904B33.pdf

ISSN


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"अजमेर जिले के सतही जल का भौगोलिक विश्लेषण", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.6, Issue 4, page no. pp223-229, April-2019, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR1904B33.pdf

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Published Paper ID: JETIR1904B33
Registration ID: 205514
Published In: Volume 6 | Issue 4 | Year April-2019
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: 223-229
Country: -, -, India .
Area: Other
ISSN Number: 2349-5162
Publisher: IJ Publication


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