UGC Approved Journal no 63975(19)

ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
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Volume 11 | Issue 4 | April 2024

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Published in:

Volume 8 Issue 9
September-2021
eISSN: 2349-5162

UGC and ISSN approved 7.95 impact factor UGC Approved Journal no 63975

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Unique Identifier

Published Paper ID:
JETIR2109540


Registration ID:
315318

Page Number

e268-e272

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Jetir RMS

Title

Study of awareness of Special Olympic Games for children with intellectual disabilities in Special Educator

Abstract

वह शिक्षा जो किसी समाज के व्यक्तियों को विशिष्ट उद्देश्य सामने रख कर दी जाती है विशिष्ट शिक्षा कहलाती है I इसके द्वारा मनुष्य को एक निश्चित कार्य, जैसे बढ़ईगिरी, लोहार गिरी, कटाई, बुनाई, अध्ययन आदि के लिए तैयार किया जाता हैI इसे व्यवसायिक शिक्षा भी कहते हैं I यह शिक्षा से मनुष्य की सृजनात्मक शक्तियों को विकसित किया जाता है I दोनों ही प्रकार की शिक्षा का अपना-अपना महत्व है I मनुष्य को मनुष्य एवं सामाजिक प्राणी बनाने के लिए सामान उदार शिक्षा को आवश्यकता होती है तो दूसरी ओर अपने भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विशिष्ट एवं व्यवसायिक शिक्षा की आवश्यकता होती है I विशेष शिक्षा के तहत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को स्कूल, परिवार और समाज के अनुकूल समायोजित करने का प्रयास किया जाता है ताकि वे अपने दिन-प्रतिदिन की समस्याओं को हल करने में सक्षम हो सके I यानी विशेष शिक्षा अक्षम बच्चों को शैक्षिक रूप से सक्षम बनाती है I आम बच्चों को पढ़ाने के लिए लागू किए जाने के तरीके और शिक्षण पद्धतियां विशेष बच्चों के लिए उपयुक्त हो I तब उनके शिक्षण अधिगम के लिए विशेष तकनीकों एवं पाठ्यचर्या की आवश्यकता होती है I इन तकनीकों एवं पाठ्यचर्या को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की कक्षाओं तक पहुंचाने के लिए विशेष शिक्षक अथवा परिभ्रामी शिक्षक की आवश्यकता होती है| विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षक उन बच्चों को इस प्रकार मार्गदर्शन और सहायता करते हैं ताकि समाज पर बोझ बन कर ना रह जाएं I इस तरह हम कह सकते हैं कि विशेष शिक्षा विशेष रूप से डिजाइन किया गया एक शैक्षिक अनुदेशन है जिसके अंतर्गत विशेष शैक्षिक गतिविधियों विशेष पाठ्यक्रम एवं विशेष शिक्षक के जरिए विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को शिक्षण अधिगम की सुविधा उपलब्ध कराया जाता है I शिक्षक शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द टीचर का हिंदी अनुवाद जैसा प्रतीत होता है I यानी एक ऐसा व्यक्ति जो शिक्षण का कार्य करता है I सीखने सिखाने की प्रक्रिया को सहजता और विशेषज्ञता के साथ करता है I शिक्षक बच्चों के चौमुखी विकास में सहायता प्रदान करता है I शिक्षक बच्चों के लिए रोल मॉडल का कार्य करता है, शिक्षक बच्चों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन ला कर एक अच्छे समाज की स्थापना में अपना योगदान देता है I तथा बच्चा बहुत से लोगों को अपने शिक्षक की बात मानता हुआ उनके इशारे पर किसी काम को करते हुए और नेतृत्व करते हुए देखता है तो भीतर ही भीतर प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता है I ऐसे में जरूरी है कि उस की शिक्षक योग्य हो और अपने काम को पूरी विशेषज्ञता तन्मयता और प्रभावशीलता के साथ करें I वह अपने छात्र-छात्राओं को बच्चों जैसे स्नेह देता है और चुनौतियों का समाधान करने और खुद से बाहर आने का संघर्ष करने की स्वायत्ता और स्वतंत्रता भी सिखाता है I विशेष शिक्षक से तात्पर्य ऐसे शिक्षक जो सामान्य आवश्यकता वाले बच्चों की अपेक्षा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को प्रशिक्षण प्रदान करते है I दिव्यांगता या निःशक्तता वह है जिसमे किसी व्यक्ति के हाथ, पैर या आँखों से न दिखना, कानों से सुनाई न देना आदि I अर्थात दिव्यांगता एक व्यापक शब्द है जो किसी व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास में किसी प्रकार की कमी को इंगित करता है I इसके लिए दिव्यांगता या निःशक्तता, अशक्तता, अक्षमता आदि शब्दों का भी प्रयोग किया जाता है I दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के आधार पर दिव्यांगता या निःशक्तता को 21 प्रकार में बाँटा गया है -1. गतिविषयक दिव्यांगता (लोकोमोटर डीसीबीलिटी 2. दृष्टिबाधित 3. अल्पदृष्टि 4. श्रवणबाधित 5. बौद्धिक अक्षमता 6. स्वलीनता 7. मानसिक बीमारी 8. प्रमस्तिश्कीय पक्षाघात 9. अधिगम अक्षमता 10. अधिरक्त स्राव 11. बौनापन 12. मांसपेशिय दुर्विकास 13. स्पेसिफिक अधिगम अक्षमता 14. थेलेसेमिया 15. सिक्कल कोशिका रोग 16. तेजाब हमला पीड़ित 17. हेमोफिलिया 18. पार्किसन रोग 19. बहुस्कोलोरोसिस 20. मूक निःशक्तता 21. बहुदिव्यांगता I बौद्धिक अक्षमता एक अक्षमता है जिसमे बुद्धि लब्धि एवं अनुकूलित व्यवहार दोनों सीमित हो जाते है जो वैचारिक सामाजिक तथा व्यावहारिक कौशलों में प्रदर्शित होता है यह अक्षमता जन्म से 18 वर्ष के पहले हो जाती है I स्पेशल ओलंपिक एक एथलेटिक प्रतियोगिता जिसे ओलंपिक खेलों के बाद बनाया गया था लेकिन इसका उद्देश्य मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए है I दिव्यांग बच्चों के शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास के लिए जिस प्रकार शिक्षा की आवश्यकता है उसी प्रकार खेल की भी आवश्यकता होती है I दिव्यांग बच्चों या व्यक्तियों के लिए खेल को मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है जो निम्न है -पैरालाम्पिक खेल,स्पेशल ओलंपिक खेल I स्पेशल ओलंपिक मौसम के अनुरूप दो प्रकार के होते है शीत ऋतु एवं ग्रीष्म ऋतु में आयोजित होते है I

Key Words

मुख्य विन्दु :- सामान्य शिक्षा , विशेष शिक्षा, समान्य शिक्षक, विशेष शिक्षक , दिव्यांग व्यक्ति , बौद्धिक अक्षमता ,स्पेशल ओलंपिक खेल

Cite This Article

"Study of awareness of Special Olympic Games for children with intellectual disabilities in Special Educator", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.8, Issue 9, page no.e268-e272, September 2021, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR2109540.pdf

ISSN


2349-5162 | Impact Factor 7.95 Calculate by Google Scholar

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"Study of awareness of Special Olympic Games for children with intellectual disabilities in Special Educator", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.8, Issue 9, page no. ppe268-e272, September 2021, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR2109540.pdf

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Published Paper ID: JETIR2109540
Registration ID: 315318
Published In: Volume 8 | Issue 9 | Year September-2021
DOI (Digital Object Identifier): http://doi.one/10.1729/Journal.28189
Page No: e268-e272
Country: Palanpur, Banaskatha , Gujarat, India .
Area: Other
ISSN Number: 2349-5162
Publisher: IJ Publication


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