UGC Approved Journal no 63975(19)

ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
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Volume 11 | Issue 3 | March 2024

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Published in:

Volume 9 Issue 4
April-2022
eISSN: 2349-5162

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Published Paper ID:
JETIR2204413


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e72-e75

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Jetir RMS

Title

संस्कृति, शिक्षा एवं धर्म के संदर्भ में स्वामी विवेकानंद का दर्शनः एक दर्शन शास्त्रीय विवेचन

Abstract

सारांश स्वामी विवेकानन्द भारत के बहुमूल्य रत्न एक जीवित क्रांति के मशाल थे, एक व्यक्ति नही एक चमत्कार थे। आज से प्रायः एक सदी पहले पराधीन और पददलित भारत के जिस एकाकी और अकिंचन योद्धा संयासी ने हजारों मील दूर विदेश में नितांत अपरिचितों के बीच अपनी ओजमयी वाणी में भारतीय धर्म-साधना के चिरंतन सत्यों का जयघोष किया। स्वामी विवेकानन्द सामायिक भारत में उन कुशल शिल्पियों में हैं जिन्होने आधारभूत भारतीय जीवन-मूल्यों की आधुनिक अंतराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में विवेक संगत व्याख्या की। स्वामी विवेकानन्द के जीवन कोश में भारतीय नवनिर्माण के उर्वर बीच यत्नपूर्वक संकलित है ही, उसमें पीड़ित और जर्जरित मानवता के पुनर्सृजन की कार्यात्मक, कार्यसाधक योजना भी सम्मिलित हंै। भारत के लिए स्वामी जी के विचार चिंतन और संदेश प्रत्येक भारतीय के लिए अमूल्य धरोहर है तथा उनके जीवन शैली और आदर्श प्रत्येक युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत्र हैं। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन का प्रधान लक्ष्य भारत के नैतिक तथा सामाजिक पुनः उद्धार के लिए उन्होंने एक अनुप्रेरित कार्यकर्ता के रूप में अपना संपूर्ण जीवन खपा दिया । स्वामी जी भारतीय संस्कृति, शिक्षा तथा धर्म के समग्रता के संबंध ने आज हमारे सामने विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए यह आह्रवान कि-’’ मानव स्वाभव गौरव को कभी मत भूलो”। हममें से प्रत्येक व्यक्ति यह घोषणा करें कि - मैं ही ईश्वर हॅू , जिससे बड़ा कोई न हुआ है और न ही होगा। उनके विचारानुसार शिक्षा का उद्देश्य केवल जानकारी देना मात्र नही है अपितु उसका लक्ष्य जीवन चरित्र और मानव का निर्माण करना होता है। चूंकि वर्तमान शिक्षा उन तत्वों से युक्त नहीं है अतः वह श्रेष्ठ शिक्षा नहीं है। वे शिक्षा के वर्तमान रूप को अभावात्मक बताते थे, जिसमें विद्यार्थियों को अपनी संस्कृति का ज्ञान नही होता। भारत की गुरू-शिष्य परंपरा जिसमें शिक्षकों में निकटता के सबंध नया संपर्क रह सकें तथा विद्यार्थियों में पवित्रता ज्ञान,धैर्य, विश्वास, विनम्रता आदि के श्रेष्ठ गुणों का विकास हो सके। वे धर्म के सबंध में किसी एक धर्म को प्राथमिकता नही देते थे , स्वामी जी मानव धर्म के प्रति दृढ़ प्रतिज्ञ थे। उन्होने धार्मिक संकीर्णता से उपर उठते हुए यह घोषणा की कि ’’ प्रत्येक धर्म, सम्प्रदाय जिस भाव में ईश्वर की आराधना करता है , मैं उनमें से प्रत्येक के साथ ठीक उसी भाव से आराधना करूंगा। स्वामी जी के अनुसार बाईबिल, वेद, गीता, कुरान तथा अन्य धर्मग्रथ समूह मानो ईश्वर के पुस्तक में के एक-एक पृष्ठ हंै। वे प्रत्येक धर्म को महत्व देते थे तथा उनके सारभूत तत्वों को जो मानव जीवन को उनका चरित्र तथा ज्योति प्रदान करने में सक्षम हो को अपनाने का आहवान करते थे जिसे एक नाम दिया गया ’’ सर्व धर्म सम्भाव’’। उन्होंने प्रत्येक धर्म के विषय में कहा कि कोई व्यक्ति जन्म से हिन्दू, ईसाई, मुस्लिम, सिक्ख या अन्य धर्म के नहीं होते। उनके अपने मातापिता, पूर्वज जिस संस्कृति, संस्कार या परंपरा से जुडे़ रहते हंै वे उसे सीखते और आज्ञा पालन करने वाले होते हैं।मानव से बढ़कर और कोई सेवा श्रेष्ठ नही है और यहीं से शुरू होता है वस्तविक मानव की जीवन यात्रा। हमें आज आवश्यकता है स्वामी जी के आदर्शो पर चलने हेतु दृढ़ प्रतिज्ञ होने, उनके शिक्षा, विचार संदेश तथा दर्शन को साकार रूप में अपना लेने की। स्वामी जी के जीवन शैली को आत्मसात करके जनजन में एकता प्रेम,और दया की नंदियाॅ बहाकर नए युग की शुरूआत करने की। तो आईये जाति, धर्म, सम्प्रदाय, पंथ और अन्य संकीर्ण मानसिकता से उपर उठकर एक-दूसरे का हाथ थामकर माॅ भारती को समृद्धि ,विकास और उपलब्धि की ओर ले जाए।

Key Words

शिक्षा, संस्कृति, दर्शन

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"संस्कृति, शिक्षा एवं धर्म के संदर्भ में स्वामी विवेकानंद का दर्शनः एक दर्शन शास्त्रीय विवेचन", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.9, Issue 4, page no.e72-e75, April-2022, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR2204413.pdf

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"संस्कृति, शिक्षा एवं धर्म के संदर्भ में स्वामी विवेकानंद का दर्शनः एक दर्शन शास्त्रीय विवेचन", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.9, Issue 4, page no. ppe72-e75, April-2022, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR2204413.pdf

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Published Paper ID: JETIR2204413
Registration ID: 400670
Published In: Volume 9 | Issue 4 | Year April-2022
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: e72-e75
Country: CHURU, RAJASTHAN, India .
Area: Other
ISSN Number: 2349-5162
Publisher: IJ Publication


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