UGC Approved Journal no 63975(19)

ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
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Volume 11 | Issue 4 | April 2024

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Published in:

Volume 9 Issue 11
November-2022
eISSN: 2349-5162

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Published Paper ID:
JETIR2211592


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504902

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f705-f707

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Jetir RMS

Title

BUNDELI RASKHAN MAYUSH SAGARI KI BHAKTI BHAVNA

Abstract

कवि रसखान एक ऐसे कृष्ण भक्त हैं जिन्हें हम उनके नाम ही नहीं बल्कि एक समर्पित कृष्ण भक्त युग भी कह सकते हैं संभवतः इन्हीं से प्रभावित होकर एक महान भक्ति बुंदेलखंड के सागर जिले के बंडा में अपनी साधारण वेशभूषा में, व्यक्तित्व से ही नहीं बल्कि कृतित्व से रसखान की भांति कृष्ण भक्ति परंपरा के रचनाकार सिद्धि ही नहीं प्रसिद्ध भी है जिनका नाम मायूस सागरी "शेख अब्दुल रज्जाक जी" है सर्वप्रथम मैंने अपने पथ प्रदर्शक प्राध्यापक डॉ कुंजीलाल पटेल जी से मायूस सागरी जी के विषय में जाना कि एक मुस्लिम व्यक्ति सागरी जी जो धार्मिक सहिष्णुता का पालन करते हुए पंचवक्ता नमाजी होने के साथ-साथ कृष्ण भक्ति शाखा के रचनाकार हैं जिन्हें "बुंदेली रसखान" उपनाम से जाना जाता है आप कृष्ण भक्ति के पहले बुंदेली कवि हैं आपकी रचनाएं अद्वितीय हैं। आज के इस दौर में जहां कोई हिंदू मुस्लिम समुदाय का साहित्यकार एक दूसरे के ईश्वर पर कोई चंद लाइने भी लिख दे तो बवाल मच जाता है लेकिन मायूस सागरी जी इन सब धार्मिक कट्टरता वाली बातों से कोई मतलब नहीं रखते हैं कृष्ण भक्ति में डूबे मायूस आगरी जी के विचार सभी साहित्यकारों से निम्न शब्दों से पृथक प्रतीत होते हैं। सागरी जी के शब्दों में : - " मैंने कभी भी हिंदी और उर्दू साहित्य को धर्म के चश्मे से नहीं देखा है " ऐसे विचारों के धनी व्यक्ति से हमारे मायूस सागरी जी। जैसे ही मुझे मायूस सागरी के बारे में ज्ञात हुआ मेरा मन उनकी भक्ति भावना को जानने के लिए जिज्ञासित हुआ तभी मैंने उनके भक्ति भाव से प्रभावित होकर उनके रचित ग्रंथ ब्रजरज के बारे में जाना। इस ग्रंथ के नाम से ही रचनाकार की भक्ति प्रबलता के बारे में पता चलता है "ब्रजरज अर्थात ब्रज की सूक्ष्म धूल" जो केवल एक भक्त को महसूस हो सकती है देख सकती है छू सकती है एवं अपने में समाहित सकती है। सहृदय के हृदय में जब भक्ति नामक रस उत्पन्न होता है तो प्रेम की हर परिभाषा से ऊपर भक्तों का प्रेम अपने आराध्य के प्रति हो जाता है फिर वह जाति धर्म से परे हो जाता है भक्ति भावना से ओतप्रोत व्यक्ति साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि एक महान आत्मा बन जाता है ऐसे ही महान भक्त और बुंदेली रसखान मायूस सागरी जी की भक्ति भावना जो हर पाठक के मन को अपनी ओर आकर्षित करती है

Key Words

बुंदेली रसखान, भक्ति भावना, कृष्ण भक्ति ।

Cite This Article

"BUNDELI RASKHAN MAYUSH SAGARI KI BHAKTI BHAVNA", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.9, Issue 11, page no.f705-f707, November-2022, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR2211592.pdf

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"BUNDELI RASKHAN MAYUSH SAGARI KI BHAKTI BHAVNA", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.9, Issue 11, page no. ppf705-f707, November-2022, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR2211592.pdf

Publication Details

Published Paper ID: JETIR2211592
Registration ID: 504902
Published In: Volume 9 | Issue 11 | Year November-2022
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: f705-f707
Country: छतरपुर , मध्यप्रदेश, India .
Area: Arts
ISSN Number: 2349-5162
Publisher: IJ Publication


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