UGC Approved Journal no 63975(19)

ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
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Volume 11 | Issue 4 | April 2024

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Published in:

Volume 10 Issue 4
April-2023
eISSN: 2349-5162

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JETIR2304B11


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513764

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l62-l68

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Jetir RMS

Title

सर्वोच्च न्यायालय और कॉलेजियम प्रणाली: वर्तमान संदर्भ में।

Authors

Abstract

शोध सार:- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है ।किसी भी लोकतांत्रिक देश में न्यायपालिका का स्वतंत्र तथा निष्पक्ष होना बहुत आवश्यक होता है। भारत में संघात्मक तथा लोकतंत्र व्यवस्था होने के कारण न्यायपालिका का महत्त्व और भी अधिक है। संघात्मक शासन प्रणाली के तहत भारत में शासन की शक्तियों का केन्द्रीय सरकार तथा राज्य सरकारों(सातवीं अनुसूची) के मध्य विभाजन किया गया है।जो विषय राष्ट्रीय महत्व के है, जैसे:- विदेशी मामले ,रक्षा विभाग तथा रेलवे विभाग आदि संघ सूची के विषयों पर केंद्र सरकार को कानून बनाने तथा प्रशासन चलाने का अधिकार है ।राज्य सूची के विषयों ,जैसे:- कि कृषि, पुलिस तथा स्थानीय शासन पर राज्य सरकारों को अधिकार प्राप्त है ।समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार दोनों सरकारों को है, लेकिन विवादों की स्थिति में केंद्र सरकार को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसी स्थिति में दोनों स्तर की सरकारों के बीच टकराव की संभावना बनी रहती है जिनको निपटाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का होना आवश्यक है।(यह निपटान सर्वोच्च न्यायालय के प्रारभिंक क्षेत्राधिकार में आता है) इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान के द्वारा नागरिको को मौलिक अधिकार(भाग-3 ,अनुच्छेद 12-35) प्रदान किए गए हैं, जिनकी रक्षा करने, हनन होने से बचाने के लिए भी न्यायपालिका की स्थापना आवश्यक है।जी.ऑस्टिन के शब्दों में ,”उच्चतम न्यायालय को नागरिकों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के संरक्षण का कार्य सौंप कर वस्तुत: 'सामाजिक क्रांति के संरक्षक’( Guardian of the social revolution) का भार सौंपा गया है।“1 सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य कार्य 'न्यायिक पुनर्निरीक्षण’ का है जिसके अंतर्गत विधानपालिका द्वारा बनाए गए और कार्यपालिका द्वारा लागू किए गए कानूनों की संवैधानिक जांच करना है ,ताकि लोगों के हितों और समाज में न्याय स्थापित किया जा सके। इसीलिए संविधान में न्यायपालिका जैसी संस्था के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष जैसे शब्द जोड़ दिए हैं। इसी प्रकार हम न्यायपालिका को लोकतंत्र एक स्तंभ कह सकते हैं।लोकतंत्र की स्थापना में योगदान करने वाली सर्वोच्च न्यायालय जैसी संस्था के सदस्यों की नियुक्ति का सवाल उठता है, तो इसकी स्थापना(28 जनवरी,1950) से लेकर 1993 तक मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी ।लेकिन 1993 में लोकतंत्र को सुनिश्चित करने के लिए 'कॉलेजियम प्रणाली' का नया तंत्र स्थापित किया गया ।इस प्रणाली के द्वारा यह सुनिश्चित करना था, कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की राय उनकी अपनी निजी राय नहीं है ,बल्कि सर्वोच्च सत्यनिष्ठा वाले न्यायाधीशों के एक निकाय द्वारा सामूहिक रूप से बनाई गई राय हैं । कॉलेजियम प्रणाली न्यायाधीशों की नियुक्ति और तबादले की प्रणाली है ,जो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के माध्यम से विकसित हुई है, जिसमें संसद अधिनियम और संवैधानिक प्रावधान का कोई योगदान नहीं है। तभी कोलेजियम प्रणाली की दक्षता को समय -समय पर इसकी स्वतंत्रता और न्यायिक नियुक्तियों के निर्णयों की पारदर्शिता को चुनौती दी गई है। इसीलिए 99 वां संविधान संशोधन के द्वारा कोलेजियम प्रणाली के स्थान पर 'राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’(National judiciary appointment commission) का गठन किया गया ,लेकिन जजों की योग्यता का निर्धारण और आंकलन करने की जिम्मेदारी न्यायपालिका की मानते हुए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को कार्यपालिका और विधानपालिका का अनावश्यक हस्तक्षेप बताया और 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को रद्द कर दिया था ।तब से लेकर वर्तमान में फिर से कोलेजियम प्रणाली को अपना लिया गया ।आज वर्तमान समय में कोलेजियम प्रणाली की पारदर्शिता पर फिर से सवाल उठाए जा रहे हैं। तो न्यायपालिका को जरूरत है, नागरिको का विश्वास बनाए रखने के लिए कॉलेजियम का सतर्कतापूर्वक पालन करें और स्वतंत्रता के हनन से खुद को बचाएं ।

Key Words

पारदर्शिता, स्वतंत्रता, न्यायपालिका, कॉलेजियम

Cite This Article

"सर्वोच्च न्यायालय और कॉलेजियम प्रणाली: वर्तमान संदर्भ में।", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.10, Issue 4, page no.l62-l68, April-2023, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR2304B11.pdf

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"सर्वोच्च न्यायालय और कॉलेजियम प्रणाली: वर्तमान संदर्भ में।", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.10, Issue 4, page no. ppl62-l68, April-2023, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR2304B11.pdf

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Published Paper ID: JETIR2304B11
Registration ID: 513764
Published In: Volume 10 | Issue 4 | Year April-2023
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: l62-l68
Country: Fatehabad , Haryana , India .
Area: Arts
ISSN Number: 2349-5162
Publisher: IJ Publication


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