UGC Approved Journal no 63975(19)

ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
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Volume 11 | Issue 10 | October 2024

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Published in:

Volume 10 Issue 8
August-2023
eISSN: 2349-5162

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Published Paper ID:
JETIR2308527


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523729

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f240-f243

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Jetir RMS

Title

BHARAT MEIN PARYAVARNIYA SAKRIYATAVAD : 21VI SADI KE VISHESH SANDARBH MEIN

Abstract

भारत प्राचीन काल से ही विविधताओं वाला देश रहा है और यह विविधता मात्र सामाजिक क्षेत्र में ही नहीं रही अपितु जैविक क्षेत्र में भी रही है। प्राचीन भारतीय साहित्य एवं परंपराओं में नदी, जंगल, पहाड़ों, वृक्षों एवं जीव-जंतुओं आदि को देवी-देवताओं के रूप में मानकर या उनसे संबंधित मानकर उनका संरक्षण किया जाता रहा है तथा भारतीय साहित्य में पृथ्वी को मां का दर्जा दिया गया है। भारत की जनसंख्या का अधिकांश भाग ग्रामीण भारत में निवास करता है तथा अपनी आजीविका के लिए किसी न किसी रूप में जंगल, नदियों, पहाड़ों एवं वनोपज पर आश्रित है अतः इन प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए ग्रामीण जनमानस सदैव सजग रहा है। वर्तमान समय में भारत समेत विश्व का लगभग प्रत्येक राष्ट्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण की समस्याओं से प्रभावित है, जैसे- वैश्विक तापन, ओजोन परत क्षरण, ग्रीन हाउस प्रभाव इत्यादि। पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं अत्यधिक औद्योगीकरण एवं अनियोजित विकास का परिणाम हैं। 1947 में भारत जब उपनिवेशवादी शासन से स्वतंत्र हुआ तब राष्ट्र निर्माताओं के समक्ष गरीबी, भुखमरी अल्प-विकास, अशिक्षा आदि विकट समस्याएं विद्यमान थीं। इन समस्याओं से निपटने व विश्व पटल पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित होने के लिए भारत को तीव्र आर्थिक विकास की आवश्यकता थी अतः नीति निर्माताओं द्वारा भारी औद्योगिकीकरण का मॉडल अपनाया गया। इस विकास मॉडल के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष रहे। पर्यावरणीय क्षय, पारिस्थितिकीय असंतुलन के साथ-साथ मानवीय विस्थापन आदि समस्याएं इस विकास मॉडल से उभरकर सामने आईं। इन समस्याओं से निपटने एवं पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सरकारी और गैर-सरकारी दोनों स्तर पर कार्य किया जाता रहा है। प्रस्तुत शोध पत्र में यह विश्लेषित करने का प्रयास किया गया है कि भारत में पर्यावरणीय सक्रियतावाद के क्या सकारात्मक प्रभाव रहे हैं तथा यह किस सीमा तक पर्यावरण को संरक्षित व संवर्धित करने में सफल रहा है।

Key Words

पर्यावरणीय सक्रियतावाद, पर्यावरणीय आन्दोलन, गैर-सरकारी संगठन (NGO), स्वयं सहायता समूह

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"BHARAT MEIN PARYAVARNIYA SAKRIYATAVAD : 21VI SADI KE VISHESH SANDARBH MEIN", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.10, Issue 8, page no.f240-f243, August-2023, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR2308527.pdf

ISSN


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"BHARAT MEIN PARYAVARNIYA SAKRIYATAVAD : 21VI SADI KE VISHESH SANDARBH MEIN", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.10, Issue 8, page no. ppf240-f243, August-2023, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR2308527.pdf

Publication Details

Published Paper ID: JETIR2308527
Registration ID: 523729
Published In: Volume 10 | Issue 8 | Year August-2023
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: f240-f243
Country: Jhansi , Uttar Pradesh , India .
Area: Arts
ISSN Number: 2349-5162
Publisher: IJ Publication


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