UGC Approved Journal no 63975(19)

ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
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Volume 11 | Issue 5 | May 2024

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Published in:

Volume 10 Issue 10
October-2023
eISSN: 2349-5162

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Published Paper ID:
JETIR2310417


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526648

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f147-f152

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Jetir RMS

Title

स्वामी विवेकानन्द का दार्शनिक एवं शैक्षिक चिन्तन

Abstract

विवेकानन्द का दार्शनिक चिन्तन स्वामी विवेकानन्द का जन्म कलकत्ता के एक बंगाली कायस्थ परिवार में 12 जनवरी, 1863 को हुआ था। इनका वास्तविक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। इनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त कलकत्ते के उच्च न्यायालय में एटर्नी (वकील) थे। वे बड़े बुद्धिमान, ज्ञानी, उदारमना, परोपकारी एवं गरीबों की रक्षा करने वाले थे। स्वामी जी की माँ श्रीमती भुवनेश्वर देवी भी बड़ी बुद्धिमती, गुणवती, धर्मपरायण एवं परोपकारी थीं। स्वामी जी पर इनका अमिट प्रभाव पड़ा। ये बचपन से ही पूजा पाठ मे रूचि लेते थे इनकी इसी प्रवृर्ति ने आगे चलकर इन्हें नरेन्द्रनाथ से स्वामी विवेकानन्द बना दिया। स्वामी विवेकानन्द श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। श्री परमहंस ने इस सत्य की अनुभूति की थी कि परमात्मा आत्मा में है और आत्मा परमात्मा में है और उन्होंने इस सत्य की अनुभूति अपने शिष्य विवेकानन्द को भी कराई थी। इसके साथ-साथ श्री विवेकानन्द ने वेदों और उपनिषदों का गूढ़ अध्ययन किया था और उनके द्वारा प्रतिपादित सत्यों की जीवन में अनुभूति की थी। वैदिक धर्म और दर्शन भिन्नताओं का योग है। स्वामी विवेकानन्द वेदान्त दर्शन को मानते थे। वेदान्त के भी तीन रूप हैं - द्वैत, विशिष्टाद्वैत और अद्वैत। स्वामी जी अद्वैत के समर्थक थे। इनके अनुसार द्वैत, विशिष्टाद्वैत और अद्वैत, इनमें कोई अन्तर नहीं है; ये तीनों वेदान्त दर्शन के तीन सोपान हैं, जिनका अन्तिम लक्ष्य अद्वैत की अनुभूति ही है। इतना ही नहीं, अपितु स्वामी जी तो विश्व के सभी धर्मों और दर्शनों को अन्त में अद्वैत की ओर झुका बताते थे। धर्म और दर्शन के प्रति स्वामी जी का दृष्टिकोण बड़ा वैज्ञानिक था। इन्होंने स्पष्ट किया कि कला, विज्ञान और धर्म, एक ही परम सत्य को व्यक्त करने के तीन विभिन्न साधन हैं। अद्वैत वेदान्त को ये सार्वभौमिक विज्ञान धर्म(न्दपअमतेंस ैबपमदबम त्मसपहपवद) कहते थे। इन्होंने वेदान्त को आधुनिक परिपेक्ष्य में देखने-समझने और उसकी वैज्ञानिक व्याख्या करने का स्तुत्य प्रयास किया है। यही उनके अद्वैत वेदान्त का नयापन है और इसी आधार पर इनके दार्शनिक चिन्तन को नव्य वेदान्त कहा जाता है। यहाँ स्वामी जी के नव्य वेदान्त की तत्त्व मीमांसा, ज्ञान एवं तर्क मीमांसा और मूल्य एवं आचार मीमांसा प्रस्तुत है।

Key Words

विवेकानन्द का दार्शनिक चिन्तन

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"स्वामी विवेकानन्द का दार्शनिक एवं शैक्षिक चिन्तन", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.10, Issue 10, page no.f147-f152, October-2023, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR2310417.pdf

ISSN


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"स्वामी विवेकानन्द का दार्शनिक एवं शैक्षिक चिन्तन", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.10, Issue 10, page no. ppf147-f152, October-2023, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR2310417.pdf

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Published Paper ID: JETIR2310417
Registration ID: 526648
Published In: Volume 10 | Issue 10 | Year October-2023
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: f147-f152
Country: AMROHA, UP, India .
Area: Other
ISSN Number: 2349-5162
Publisher: IJ Publication


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