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ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
Volume 12 | Issue 9 | September 2025

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Published in:

Volume 11 Issue 11
November-2024
eISSN: 2349-5162

UGC and ISSN approved 7.95 impact factor UGC Approved Journal no 63975

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Published Paper ID:
JETIR2411231


Registration ID:
550681

Page Number

c239-c240

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Jetir RMS

Title

Regional sense in the novels of Phanishwar Nath Renu

Abstract

फणीश्वर नाथ रेणु ने अपने उपन्यासों में जिस आंचलिकता बोध को उभारा है, वह हिंदी साहित्य में अद्वितीय है। उनके उपन्यासों में न केवल ग्रामीण जीवन की सादगी और संघर्ष को चित्रित किया गया है, बल्कि उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों और आर्थिक विषमताओं को भी प्रभावी ढंग से उजागर किया है। उनकी रचनाएँ आंचलिकता के माध्यम से मानव जीवन के गहरे अनुभवों और अंतर्विरोधों को सामने लाती हैं। रेणु का साहित्य हमें यह सिखाता है कि हर क्षेत्र और हर समाज की अपनी एक विशिष्टता होती है, और उसे समझने के लिए उसके अंदर छिपी बारीकियों को पहचानना जरूरी है। हिंदी साहित्य के प्रमुख उपन्यासकारों में से एक फणीश्वर नाथ रेणु ने भारतीय ग्रामीण जीवन के विविध रंगों और आयामों को अपनी लेखनी के माध्यम से जीवंत किया है। उनकी रचनाओं में विशेष रूप से आंचलिकता का बोध स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। आंचलिकता का अर्थ है किसी क्षेत्र विशेष की सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक जीवन शैली का प्रामाणिक चित्रण। रेणु ने अपनी रचनाओं में बिहार के ग्रामीण अंचल का ऐसा चित्रण किया है, जिससे पाठक उस समाज, संस्कृति और परंपराओं से गहराई से परिचित हो जाते हैं। 1. मैला आँचल: फणीश्वर नाथ रेणु का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास "मैला आँचल" आंचलिक उपन्यासों में एक मील का पत्थर माना जाता है। इस उपन्यास में रेणु ने बिहार के एक छोटे से गाँव का चित्रण किया है, जहाँ ग्रामीण जीवन, उनकी कठिनाइयाँ, संघर्ष और सांस्कृतिक परंपराएँ स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आती हैं। रेणु का ध्यान सिर्फ ग्रामीण जीवन की सादगी पर नहीं, बल्कि उसमें निहित जटिलताओं पर भी है, जहाँ वर्ग विभाजन, जाति व्यवस्था और आर्थिक विषमताएँ प्रमुख हैं। इसके साथ ही, उन्होंने वहाँ की बोली-बानी, रहन-सहन, रीति-रिवाज और स्थानीय धार्मिक मान्यताओं को इतनी बारीकी से प्रस्तुत किया है कि वह क्षेत्र विशेष का जीवंत दस्तावेज़ बन जाता है। 2. परती परिकथा: "परती परिकथा" में रेणु ने बिहार के सूखाग्रस्त क्षेत्रों की त्रासदी और वहाँ के लोगों के संघर्ष को केंद्र में रखा है। इस उपन्यास में आंचलिकता सिर्फ भूगोल और सामाजिक जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि रेणु ने प्रकृति और मानव के बीच के संबंधों को भी गहराई से उभारा है। ग्रामीण अंचल की मिट्टी, खेत-खलिहान, और प्रकृति के विभिन्न रंगों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया गया है। ग्रामीण समाज की आपसी बातचीत, उनके संघर्ष, और उनकी उम्मीदों को रेणु ने सजीव ढंग से चित्रित किया है, जो उनके आंचलिक बोध की व्यापकता को दर्शाता है। 3. जुलूस: "जुलूस" उपन्यास में भी रेणु ने आंचलिकता को प्रमुखता दी है। इस उपन्यास में एक छोटे कस्बे की राजनीति और सामाजिक स्थिति को उभारा गया है। रेणु ने कस्बाई जीवन के छोटे-छोटे पहलुओं पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जो आंचलिकता के बोध को और गहरा बनाता है। यहाँ भी उनकी भाषा, संवाद, और पात्रों की मानसिकता उस क्षेत्र विशेष की सामाजिक और सांस्कृतिक वास्तविकताओं से जुड़ी होती है। 4. कितने चौराहे इस उपन्यास में सन 1942 में महात्मा गांधी की करो या मरो पुकार सुनकर भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़ने वाले किशोर की कहानी है अररिया कोर्ट का आंचल उपन्यास का केंद्र है उपन्यास का प्रधान पत्र मनमोहन है। देश सेवा उसके जीवन का प्रधान अध्याय है वह देहात का होनहार बालक है उसे गुणवत्ता के आधार पर छात्रवृत्ति मिलती है उसे गांव से शहर पढ़ने के लिए भेजा जाता है उसके जीवन में कई विकल्प आने पर भी बाए मुड़े बिना अनेक चौराहों को पार कर अपने देर तक पहुंचता है इस उपन्यास में मनमोहन जैसे साहसी आदर्श किशोर का चरित्र चित्रण करना लेखक का उद्देश्य रहा है इस दृष्टि से यह उपन्यास आंचल प्रदान न होकर नायक प्रधान है 5. पलटू बाबू रोड़ लेखक ने पलटू बाबू के माध्यम से स्वतंत्रता के बाद भारतीय जीवन का आदर्श लेखांकन किया है प्रस्तुत उपन्यास में लेखक ने गांव की जीवन लीला को चित्रित किया है उपन्यास की कथा वर्गाची कस्बे में रहने वाले लोगों की है उपन्यास का केंद्र उसे कस्बे में रहने वाला राय परिवार है पलटू बाबू उर्फ अमलेंडु राय इस परिवार के मुखिया है। यह परिवार राय एंड ब्रदर्स कंस्ट्रक्शन और ऑर्डर सप्लायर के नाम से सीमेंट चुना और लोहे का व्यापार करता है पलटू बाबू इस व्यापार के स्वामी है और उनकी पर्सनल असिस्टेंट है बिजली। बिजली अपने व्यापार को चलाने के लिए छोगमाल मुरली मनोहर को प्रेम जाल में फसती है पलटू बाबू भी कामवासना के रोगी हैं उसे ग्राम में प्रतिष्ठित वकील बाबू भोले सहाय की पुत्री मिस कुंतल सहाय है जो कोलकाता से पढ़कर लौटी है वह अपने पिता, भाई, और समाज से बदला लेने के लिए बाय-ब्रीड पलटू बाबू से विवाह करती है शादी की पहली रात में पलटू बाबू की हत्या होती है प्रस्तुत उपन्यास के समग्र लोग कम जवार से पीड़ित है उपन्यास का प्रारंभ राय परिवार से होता है और अंत पलटू बाबू की मृत्यु से।

Key Words

फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यासों में आंचलिकता बोध

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"Regional sense in the novels of Phanishwar Nath Renu", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.11, Issue 11, page no.c239-c240, November-2024, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR2411231.pdf

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"Regional sense in the novels of Phanishwar Nath Renu", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.11, Issue 11, page no. ppc239-c240, November-2024, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR2411231.pdf

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Published Paper ID: JETIR2411231
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