UGC Approved Journal no 63975(19)
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ISSN: 2349-5162 | ESTD Year : 2014
Volume 12 | Issue 9 | September 2025

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Published in:

Volume 12 Issue 8
August-2025
eISSN: 2349-5162

UGC and ISSN approved 7.95 impact factor UGC Approved Journal no 63975

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Unique Identifier

Published Paper ID:
JETIR2508575


Registration ID:
568664

Page Number

f548-f550

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Jetir RMS

Title

Rajya Punargathan evam Chhote Rajyon Ki Mang Ka Auchitya

Abstract

शोध सारांश - भारत एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसमें 28 राज्य व 8 केंद्र शासित प्रदेश है। 1947 में आजादी के समय भारत 562 रियासतों, 9 ब्रिटिश प्रांतों व 3 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों में फैला हुआ था । सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में रियासती विभाग ने भारत के एकीकरण की प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करते हुए इसे भाग अ,ब,स,द के रूप में कुल 29 इकाइयों में संगठित किया तथापि यह पुनर्गठन राष्ट्रीय एकीकरण की समस्या के समाधान के तात्कालिक उपाय के रूप में था जिसमें भाग-अ के मद्रास, बंबई जैसे विशालकाय राज्यों की तुलना में भाग-स में कच्छ, अजमेर इत्यादि अत्यधिक छोटी प्रशासनिक इकाइयां शामिल थी। उसी समय देशभर में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग जोर-शोर से उठी तथा अंततः 1953 में ‘आंध्र’ के निर्माण से भाषाई राज्यों के निर्माण का श्रीगणेश हुआ। 1953 में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग ने बंबई व पंजाब के अलावा अन्य सभी राज्यों का नक्शा भाषाई समरसता के आधार पर ही तैयार किया था। 1956 में पारित राज्य पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से चार श्रेणियों के राज्यों की व्यवस्था को समाप्त कर 14 राज्य व 6 संघशासित प्रदेशों की स्थापना की गई । पूर्ववर्ती श्रेणी-स के अत्यधिक छोटे राज्यों कच्छ, अजमेर, कुर्ग इत्यादि का निकटवर्ती राज्यों में विलय कर राज्यों के आकार का न्यूनतम मानक बनाए रखने का प्रयास किया गया। 1960 में बंबई व 1966 में पंजाब का पुनर्गठन भी भाषाई आधार पर संपन्न हुआ मगर इसी दौरान 1963 में गठित नागालैंड संघ का पहला राज्य बना जिसका गठन भाषाई आधार पर नहीं हुआ था तथा इसके लिए राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा राज्य पुनर्गठन के लिए आवश्यक समझे जाने वाले सभी कारकों को नजरअंदाज कर दिया गया। उसके बाद तो भारत में प्रशासनिक कुशलता, विकास ,जातीयता आदि कारकों के आधार पर छोटे राज्यों के गठन की बाढ़-सी आ गई। 1971 में मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा एवं हिमाचल प्रदेश, 1975 में सिक्किम, 1987 में गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, 2000 में छत्तीसगढ़ ,उत्तराखंड तथा झारखंड तथा 2014 में गठित तेलंगाना में से अधिकतर छोटे राज्यों की श्रेणी में गिने जाते हैं तथा आज भी करीब डेढ़ दर्जन नए राज्यों की मांग जारी है जिनमें से अधिकांश छोटे राज्यों कीे श्रेणी में ही शामिल किए जाने योग्य हैं। इस शोध पत्र में इन छोटे व बड़े राज्यों के बीच तुलना कर उनके लाभ एवं नुकसान के आकलन करने तथा छोटे राज्यों के संबंध में प्रचलित प्रशासनिक कुशलता के तर्क का नीति आयोग के सूचकांक के आंकड़ों के आधार पर परीक्षण व विश्लेषण कर कतिपय निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया गया है जो भावी राज्य पुनर्गठन के लिए मापदंड निर्धारित करने तथा नीतिपरक निर्णयन हेतु महत्वपूर्ण आधार सामग्री प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा।

Key Words

संकेताक्षर- राज्य पुनर्गठन, भाषाई राज्य, बड़े राज्य, छोटे राज्य, राज्य पुनर्गठन आयोग, प्रशासनिक कुशलता, जातीयता, नीति आयोग, सुशासन सूचकांक, अस्थिर सरकारें, दल-बदल, संघात्मक शासन, भाषाई प्रांत आयोग।

Cite This Article

"Rajya Punargathan evam Chhote Rajyon Ki Mang Ka Auchitya", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org), ISSN:2349-5162, Vol.12, Issue 8, page no.f548-f550, August-2025, Available :http://www.jetir.org/papers/JETIR2508575.pdf

ISSN


2349-5162 | Impact Factor 7.95 Calculate by Google Scholar

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"Rajya Punargathan evam Chhote Rajyon Ki Mang Ka Auchitya", International Journal of Emerging Technologies and Innovative Research (www.jetir.org | UGC and issn Approved), ISSN:2349-5162, Vol.12, Issue 8, page no. ppf548-f550, August-2025, Available at : http://www.jetir.org/papers/JETIR2508575.pdf

Publication Details

Published Paper ID: JETIR2508575
Registration ID: 568664
Published In: Volume 12 | Issue 8 | Year August-2025
DOI (Digital Object Identifier):
Page No: f548-f550
Country: BIKANER, RAJASTHAN, India .
Area: Arts
ISSN Number: 2349-5162
Publisher: IJ Publication


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